Rekha

Verma, Bhagwaticharan

Rekha - 19th ed. - New Delhi Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd. 2023 - 239 p.

व्यक्ति के गुह्यतम मनोवैज्ञानिक चरित्र-चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करुण कहानी कही है जो अपने अन्‍तर के संघर्षों में दुनिया के सहारे सब गँवा बैठी। रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उम्र से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान नहीं रह सका।

शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक ओर यदि उसका भावुक मन ज़‍िम्मेदार है, तो दूसरी और पुरुष की वह अक्षम्य 'कमज़ोरी' भी जिसे समाज 'स्वाभाविक' कहकर बचना चाहता है।

वस्तुतः रेखा जैसे युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है।

(https://rajkamalprakashan.com/rekha.html)

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