TY - BOOK AU - Manto, Saadat Hasan TI - Gunahgaar Manto SN - 9789350002162 U1 - 891.433 PY - 2015/// CY - New Delhi PB - Vani Prakashan KW - Hindi-Stories N2 - मंटो फ़रिश्ता नहीं, इंसान है। इसलिए उसके चरित्र गुनाह करते हैं। दंगे करते हैं। न उसे किसी चरित्र से प्यार है न हमदर्दी। मंटो न पैग़म्बर है न उपदेशक। उसका जन्म ही कहानी कहने के लिए हुआ था। इसलिए फ़साद की बेरहम कहानियाँ लिखते हुए भी उस का क़लम पूरी तरह क़ाबू में रहा। मंटो की खूबी यह भी थी कि वो चुटकी बजाते एक कहानी लिख लेता था। और वो भी इस हुनरमंदी के साथ कि चुटकी बजाते लिखी जाने वाली कहानियाँ भी आज उर्दू-हिन्दी अफ़साने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्त्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। जन्म, 11 मई 1921 को जिला लुधियाना में हुआ। आरंभिक शिक्षा अमृतसर एवं अलीगढ़ में हुई। विभाजन एवं दंगा संस्कृति पर लिखी समस्त कहानियाँ आज दस्तावेज़ बन चुकी हैं। मंटो ने मुम्बई की बालीवुड नगरी में भी संवाद लेखक के तौर पर काम किया। एक साप्ताहिक पत्रिका 'मुसव्वर' का संपादन भी किया। मुम्बई में फ़िल्मसिटी, फ़िल्म कंपनी और प्रभात टाकीज में भी नौकरी की। 1948 में पाकिस्तान चले गये और 1955 में इस महान कथाकार की मृत्यु हो गई। मंटो की पहली कहानी तमाशा थी। मंटो ने बगैर उन्वान के नाम से इकलौता उपन्यास लिखा। उनकी अंतिम कहानी : कबूतर और कबूतरी थी। लाल रत्नाकार इस पुस्तक के आवरण का चित्रांकन विख्यात चित्रकार 'डॉ. लाल रत्नाकर ने किया है। संप्रति एम. एम. एच. कला विभाग में उपाचार्य। (https://www.vaniprakashan.com/home/product_view/7484/shipping-policy) ER -