Singh, Kashinath

Kashi ka aasi - New Delhi Rajkamal Prakashan 2023 - 171 p.

ज़िन्दगी और ज़िन्दादिली से भरा एक अलग क़िस्म का उपन्यास। उपन्यास के परम्परित मान्य ढाँचों के आगे प्रश्नचिह्न। ‘अस्सी’ काशीनाथ की भी पहचान रहा है और बनारस की भी। जब इस उपन्यास के कुछ अंश ‘कथा रिपोर्ताज’ के नाम से पत्रिकाओं में छपे थे तो पाठकों और लेखकों में हलचल-सी हुई थी। छोटे शहरों और क़स्बों में उन अंक विशेषों के लिए जैसे लूट-सी मची थी, फ़ोटोस्टेट तक हुए थे, स्वयं पात्रों ने बावेला मचाया था और मारपीट से लेकर कोर्ट-कचहरी की धमकियाँ तक दी थीं।

अब यह मुकम्मल उपन्यास आपके सामने है जिसमें पाँच कथाएँ हैं और उन सभी कथाओं का केन्द्र भी अस्सी है। हर कथा में स्थान भी वही, पात्र भी वे ही—अपने असली और वास्तविक नामों के साथ, अपनी बोली-बानी और लहज़ों के साथ। हर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मुद्दे पर इन पात्रों की बेमुरव्वत और लट्ठमार टिप्पणियाँ काशी की उस देशज और लोकपरम्परा की याद दिलाती हैं जिसके वारिस कबीर और भारतेन्दु थे। उपन्यास की भाषा उसकी जान है—भदेसपन और व्यंग्य-विनोद में सराबोर। साहित्य की ‘मधुर मनोहर अतीव सुन्दर’ वाणी शायद कहीं दिख जाए!

(https://rajkamalprakashan.com/kashi-ka-assi.html)


9788126711468


Novel
Hindi novel

891.43 / SIN