Sabahin nachavat Ram Gosain
Material type:![Text](/opac-tmpl/lib/famfamfam/BK.png)
- 9788126706884
- 891.433 VER
Item type | Current library | Collection | Call number | Copy number | Status | Date due | Barcode | |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
Indian Institute of Management LRC General Stacks | Hindi Book | 891.433 VER (Browse shelf(Opens below)) | 1 | Available | 003058 |
भगवती बाबू ने अपने उपन्यासों में भारतीय इतिहास के एक लम्बे कालखंड
का यथार्थवादी ढंग से अंकन किया है। स्वतंत्रता-पूर्व और स्वातंत्र्योत्तर दौर की विभिन्न
सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिघटनाओं को उन्होंने अपनी विशिष्ट शैली में अंकित किया है।
‘सबहिं नचावत राम गोसाईं’ की विषयवस्तु आज़ादी के बाद के भारत में क़स्बाई मध्यवर्ग की महत्त्वाकांक्षाओं के विस्तार और उनके प्रतिफलन पर रोचक कथासूत्रों के माध्यम से प्रकाश डालती है। राधेश्याम, नाहर सिंह, जबर सिंह, राम समुझ आदि चरित्रों के माध्यम से यह उपन्यास आज़ाद भारत के तेज़ी से बदलते राजनीतिक-सामाजिक चेहरे को उजागर करता है।
There are no comments on this title.