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Humankind

By: Material type: TextTextPublication details: Manjul Publishing House Bhopal 2020Description: 384 pISBN:
  • 9789390924325
Subject(s): DDC classification:
  • 128 BRE
Summary: यह एक विश्वास ही है जो वामपन्थियों और दक्षिणपन्थियों को, मनोवैज्ञानिकों और दार्शनिकों को, लेखकों और इतिहासकारों को एकजुट करता है। यह उन सुर्खियों को प्रेरित करता है जो हमें घेरे रहती हैं और उन नियमों को संचालित करता है जो हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं। पश्चिम के चिन्तन में इस विश्वास की जड़ें, मैकियावेली से लेकर हॉब्स तक और फ्रॉइड से लेकर डॉकिन्स तक, बहुत गहराई तक समाई हुई हैं। हमें सिखाया गया है कि मनुष्य अपने स्वभाव से ही स्वार्थी होते हैं और अपने हित से नियन्त्रित होते हैं। ह्यूमनकाइंड एक नया तर्क प्रस्तुत करती है : यह मानना कि लोग भले होते हैं, व्यावहारिक होने के साथ-साथ क्रान्तिकारी भी है। प्रतिस्पर्धा करने की बजाय सहयोग करने की, अविश्वास करने की बजाय भरोसा करने की प्रवृत्ति का आधार हमारी प्रजाति के आरम्भ से ही हमारी विकास-प्रक्रिया में मौजूद रहा है। दूसरों को उनके निकृष्टतम रूप में देखना न स़िर्फ दूसरों के प्रति हमारे रुख को, बल्कि हमारी राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर के बेस्टसेलिंग लेखक रुत्ख़ेर ब्रेख़्मान इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक में दुनिया के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध अध्ययनों को आधार मान कर और उन्हें नये सिरे से संयोजित कर मानव-इतिहास के पिछले 200,000 वर्षों के बारे में एक नया परिप्रेक्ष्य उपलब्ध कराते हैं। वास्तविक जीवन के लॉर्ड ऑफ़ द फ़्लाइज़ से लेकर ब्लिट्ज़ के बाद सामने आये सहयोग तक, स्टेन्फ़ोर्ड प्रिज़न एक्सपेरीमेंट की छिपी हुई गड़बड़ियों से लेकर किटी जेनोवीस की हत्या के सच्चे क़िस्से तक, ब्रेख़्मान साबित करते हैं कि किस तरह मानवीय दयालुता और परोपकार हमारे सोचने के ढंग को बदल सकते हैं - और हमारे समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने की भूमिका निभा सकते हैं। यह मानव-स्वभाव के बारे में नया द़ृष्टिकोण अपनाने का समय है। (https://manjulindia.com/humankind-a-hopeful-history-hindi.html)
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Book Book Indian Institute of Management LRC General Stacks Hindi Book 128 BRE (Browse shelf(Opens below)) 1 Available 005325

यह एक विश्वास ही है जो वामपन्थियों और दक्षिणपन्थियों को, मनोवैज्ञानिकों और दार्शनिकों को, लेखकों और इतिहासकारों को एकजुट करता है। यह उन सुर्खियों को प्रेरित करता है जो हमें घेरे रहती हैं और उन नियमों को संचालित करता है जो हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं। पश्चिम के चिन्तन में इस विश्वास की जड़ें, मैकियावेली से लेकर हॉब्स तक और फ्रॉइड से लेकर डॉकिन्स तक, बहुत गहराई तक समाई हुई हैं। हमें सिखाया गया है कि मनुष्य अपने स्वभाव से ही स्वार्थी होते हैं और अपने हित से नियन्त्रित होते हैं।
ह्यूमनकाइंड एक नया तर्क प्रस्तुत करती है : यह मानना कि लोग भले होते हैं, व्यावहारिक होने के साथ-साथ क्रान्तिकारी भी है। प्रतिस्पर्धा करने की बजाय सहयोग करने की, अविश्वास करने की बजाय भरोसा करने की प्रवृत्ति का आधार हमारी प्रजाति के आरम्भ से ही हमारी विकास-प्रक्रिया में मौजूद रहा है। दूसरों को उनके निकृष्टतम रूप में देखना न स़िर्फ दूसरों के प्रति हमारे रुख को, बल्कि हमारी राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर के बेस्टसेलिंग लेखक रुत्ख़ेर ब्रेख़्मान इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक में दुनिया के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध अध्ययनों को आधार मान कर और उन्हें नये सिरे से संयोजित कर मानव-इतिहास के पिछले 200,000 वर्षों के बारे में एक नया परिप्रेक्ष्य उपलब्ध कराते हैं। वास्तविक जीवन के लॉर्ड ऑफ़ द फ़्लाइज़ से लेकर ब्लिट्ज़ के बाद सामने आये सहयोग तक, स्टेन्फ़ोर्ड प्रिज़न एक्सपेरीमेंट की छिपी हुई गड़बड़ियों से लेकर किटी जेनोवीस की हत्या के सच्चे क़िस्से तक, ब्रेख़्मान साबित करते हैं कि किस तरह मानवीय दयालुता और परोपकार हमारे सोचने के ढंग को बदल सकते हैं - और हमारे समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने की भूमिका निभा सकते हैं।
यह मानव-स्वभाव के बारे में नया द़ृष्टिकोण अपनाने का समय है।
(https://manjulindia.com/humankind-a-hopeful-history-hindi.html)

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