000 01624nam a22001697a 4500
999 _c3461
_d3461
005 20221018145304.0
008 220912b ||||| |||| 00| 0 eng d
020 _a9789350650752
082 _a891.4312
_bGHA
100 _aGhalib, Mirza
_98493
245 _aMirza Ghalib: hindi bhavarth mai sampurna shayri
260 _bVishv Books Private Ltd
_aGhaziabad
_c2017
300 _a174 p.
365 _aINR
_b220.00
520 _aमिर्जा गालिब की शायरी अपने अद्वितीय साहित्यिक स्तर, भाषा सौंदर्य और रसपूर्णता के कारण पिछली एक सदी से चर्चित है। गालिब का कलाम गूढ़ होने के कारण इस के प्रायः तरहतरह के अर्थ निकाल लिए जाते हैं- हिंदी काव्यप्रेमी पाठकों को फारसी या उर्दू का ज्ञान नहीं होने के कारण शेरों को समझने में बड़ी कठिनाई होती है। हिंदी में पहली बार प्रकाशित इस दीवान में प्रत्येक शेर के साथसाथ उस का भावार्थ भी दिया गया है ताकि पाठक गालिब की कविता का पूरी तरह रसास्वादन कर सकें।..
942 _2ddc
_cBK