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_bFAI
100 _aFaiz, Faiz Ahmed
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245 _aMere dil mere mushafir
250 _a4th
260 _bRajkamal Prakashan
_aNew Delhi
_c2022
300 _a121 p.
365 _aINR
_b150.00
520 _aफ़ैज़ को ज़िन्दगी और सुन्दरता से प्यार है - भरपूर प्यार, और इसीलिए जब उन्हें मानवता पर मौत और बदसूरती की छाया मँडराती दिखाई देती है, वह उसको दूर करने के लिए बड़ी-से-बड़ी आहुति देने से भी नहीं चूकते। उनका जीवन इसी पवित्र संघर्ष का प्रतीक है और उनकी शाइरी इसी का संगीत। मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर फ़ैज़ अहमद ‘फ़ैज़' की नज़्मों और ग़ज़लों का संग्रह है। इस संग्रह की ख़ासियत यह है कि रचनाओं को उर्दू और नागरी - दोनों लिपियों में रखा गया है। अपनी रचनात्मक भावभूमि पर इस संग्रह की कविताएँ फ़ैज़ के ‘जीवन-काल के विभिन्न चरणों की प्रतीक हैं और यह चरण उनके पूरे जीवन और पूरी कविता के चरित्र का ही स्वाभाविक अंग है।' इनसान और इनसानियत के हक़ में उन्होंने एक मुसलसल लड़ाई लड़ी है और अवाम के दुख-दर्द और उसके गुश्स्से को दिल की गहराइयों में डूबकर क़लमबन्द किया है। इसके लिए हुक्मरानों का हरेक कोप और हर सजा क़बूल करते हुए आजीवन कुर्बानियाँ दीं। ज़ाहिरा तौर पर उनकी शायरी सच्चे इनसानों की हिम्मत, इनसानियत से उनके प्यार और एक ख़ूबसूरत भविष्य के लिए जीत के विश्वास से पैदा हुई है; और इसीलिए उनकी आवाज़ दुनिया के हर संघर्षशील आदमी की ऐसी आवाज़ है ‘जो क़ैदख़ानों की सलाखों से भी छन जाती है और फाँसी के फन्दों से भी गूँज उठती है।
650 _aGhazal
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