000 | 02834nam a22002057a 4500 | ||
---|---|---|---|
005 | 20240129201238.0 | ||
008 | 240129b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788183616713 | ||
082 |
_a891.4309 _bSHA |
||
100 |
_aShahi, Madanmohan Sharma _914683 |
||
245 | _aLankeshwar | ||
250 | _a4th ed. | ||
260 |
_bRadhakrishna Prakashan Pvt. Ltd. _aDelhi _c2022 |
||
300 | _a635 p. | ||
365 |
_aINR _b599.00 |
||
520 | _a‘लंकेश्वर’ उपन्यास में लेखक ने राम-रावण की कथा को पौराणिक कथाओं, पुराख्यानों तथा विभिन्न रामकथाओं का अध्ययन कर उन्हें मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक विश्लेषणों के माध्यम से उकेरा है। रावण इस बृहद् कथा का केन्द्रीय पात्र है। उपन्यास में रावण को बहुमुखी प्रतिभा का धनी के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और व्यावहारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। तीन खंडों में विभाजित—‘दिग्विजय’ खंड में राक्षसराज रावण के आदर्शों, मानवीय मूल्यों, उसकी विराट सत्ता व धार्मिक सहिष्णुता की, तो ‘वाग्धारा’ खंड में राम के विराट, सहृदय, मर्यादा और त्याग-भरे आदर्श जीवन की व्याख्या है। 'मुक्ति’ खंड में राम-रावण युद्ध है जिसका आधार वैमनस्य नहीं, बल्कि वैचारिक अन्तर्विरोध तथा दो भिन्न संस्कृतियों का आमना-सामना है। लेखक ने उपन्यास में इस बृहद् कथा के परिवेश को जीवन्त रखने के लिए पौराणिक शब्द-सम्पदा का भरपूर उपयोग किया है तथा एक सुपरिचित कथा को रोचक व पठनीय बनाए रखने में सफलता हासिल की है। (https://rajkamalprakashan.com/lankeshwar.html) | ||
650 |
_aNovel _913491 |
||
650 |
_aRavana _914888 |
||
942 |
_cBK _2ddc |
||
999 |
_c6481 _d6481 |