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020 | _a9789390085279 | ||
082 |
_a158.1 _bSHE |
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100 |
_aShetty, Jay _914701 |
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245 |
_aSanyasi ki tarah sochien: _bapne mastishk ko shanti aur udeshya pane hetu prashikshit kare |
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260 |
_bManjul Publishing House _aBhopal _c2022 |
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300 | _axix, 304 p. | ||
365 |
_aINR _b499.00 |
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520 | _aइस प्रेरक और सक्षम पुस्तक में शेट्टी संन्यासी के रूप में अर्जित ज्ञान का लाभ लेकर हमें सिखाते हैं कि हम अपनी क्षमता और शक्ति की राह में आने वाले अवरोधों को कैसे हटा सकते हैं। प्राचीन बुद्धिमत्ता और आश्रम के समृद्ध अनुभवों को मिश्रित करने वाली यह पुस्तक यह उजागर करती है कि हम नकारात्मक विचारों व आदतों से कैसे उबर सकते हैं और उस शांति तथा उद्देश्य तक कैसे पहुँच स • नकारात्मकता से कैसे उबरें • अधिक विचार करने की आदत को कैसे रोकें • तुलना प्रेम को कैसे समाप्त कर देती है • अपने डर का इस्तेमाल कैसे करें • ख़ुशी की तलाश करने पर आपको ख़ुशी क्यों नहीं मिल सकती • हर मिलने वाले से कैसे सीखें • आपका अस्तित्व अपने विचारों से भिन्न क्यों हैं • सफलता के लिए दयालुता क्यों अनिवार्य है और भी बहुत कुछ. | ||
650 |
_aConduct of life _912811 |
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650 |
_aHindu monastic and religious life _914861 |
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650 |
_aMeaning (Psychology) _914862 |
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_a Self-actualization (Psychology) _912775 |
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_aThink like a monk _914863 |
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_cBK _2ddc |
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999 |
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